जितना तुम बदले हो...
माना कि मोहब्बत की ये भी एक हकीकत है फिर भी,जितना तुम बदले हो उतना भी नहीं बदला जाता।
तूने ही सिखाई बेवफाई...
इल्जाम न दे मुझको तूने ही सिखाई बेवफाई है,
देकर के धोखा मुझे मुझको दी रुसवाई है,
मोहब्बत में दिया जो तूने वही अब तू पाएगी,
पछताना छोड़ दे तू भी औरों से धोखा खायेगी।
देकर के धोखा मुझे मुझको दी रुसवाई है,
मोहब्बत में दिया जो तूने वही अब तू पाएगी,
पछताना छोड़ दे तू भी औरों से धोखा खायेगी।
अदाओं में बेरुखी...
नफरत को मोहब्बत की आँखों में देखा,बेरुखी को उनकी अदाओं में देखा,
आँखें नम हुईं और मैं रो पड़ा...
जब अपने को गैरों की बाहों में देखा।
हिंदी में बेवफा शायरी | Bewafa Shayri |
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